Sunday, March 27, 2011

कहानी पूरी फ़िल्मी है

Image Courtesy: castrolcricket.com
पिछले सैंतीस दिनों से चला आ रहा लंबा महाकुंभ आखिरकार अपने निर्णायक मोङ पर आ चुका है,पिछले आलेख की समाप्ति हुई थी लीग मैचों की समाप्ति के साथ और हमने चर्चा की थी कि पहली बार ऐसा हो रहा है कि सारी मुख्य धारा की टीमें अगले दौर में पहुँची हैं और मुकाबला रोचक होने वाला है,क्वार्टरफईनल की शुरुआत हुई सबको अपने प्रदर्शन से चौंका देने वाले पाकिस्तान और गिरते पङते अगले दौर में स्थान पाने वाले वेस्टइंडीज़ के मुका़बले के साथ,उम्मीद थी कि गेल,पोलार्ड,ब्रावो और रोच जैसे खिलाङियों से सजी यह टीम पाकिस्तान को कङी टक्कर दे पायेगी किंतु मैच इतना एकतरफा और नीरस हो गया कि वेस्टइंडीज़ पर तरस आने लगा,
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चंद्रपाल और सरवन ने शायद विश्वकप की सबसे धीमी पारी का रिकॉर्ड बना डाला और 112 रन पर पूरी टीम सिमट गयी,अफ़रीदी का शानदार प्रदर्शन जारी रहा,कमज़ोर बैटिंग का ठप्पा हटाते हुये बिना विकट गँवाये पाकिस्तान ने शानदार विजय हासिल कर ली,आलरांउंडर खिलाङियों से सजी न्यूज़ीलैंड ने बङा उलटफेर किया और विश्वकप की प्रबल दावेदार दक्षिणअफ्रीका को विश्वकप से बाहर कर दिया,जैसा कि पिछले एक आलेख में उल्लेख किया गया  था दक्षिणअफ्रीका की साढेसाती का या यूँ कहा जाये कि सौ वर्ष का कोई श्राप भोग रही दक्षिणअफ्रीकी टीम फिर बङे मुकाबले में आकर हार गयी,इस हार के बाद अटकलें लगने लगीं कि विश्वकप में अब तक की सबसे मनोरंजक टीम इंग्लैंड भी क्या कोई कमाल कर देगी? हालांकि श्रीलंका को श्रीलंका में परास्त करना बहुत मुश्किल है, इतिहास और आँकङे श्रीलंका के विरुद्ध जाते दिखे और पहली पारी के बाद कयास लगने लगा कि क्या आज फिर कोई उलटफेर होगा,किंतु अपने शानदार प्रदर्शन से प्रतिद्वंदी टीम को जङ से उखाङ फेंकने की आदी श्रीलंका ने दस विकेट से विजय प्राप्त कर ली, 
image Cortesy:espncricinfo.com
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इन सब मुकाबलों से बङा और शानदार था भारत का ऑस्ट्रेलिया से मुकाबला,कयास लगाये जा रहे थे कि ऑस्ट्रेलिया अब पहले वाला ऑस्ट्रेलिया नहीं रहा किंतु फिर भी विश्वविजेता से पार पाना इतना आसान नहीं था, मिनी-फाईनल के नाम से जाने जाने वाली इस टक्कर पर सबकी नज़र थी,

Monday, March 21, 2011

हाथी की पूँछ

Cortesy:espncricinfo.com
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विश्व कप के ग्रुप चरण के मुकाबलों का अंतिम सप्ताह भारत की वेस्टइंडीज़ पर आसान विजय के साथ समाप्त हो गया।पिछले आलेख में हम चर्चा कर रहे थे कि यह अब तक का सबसे खुला विश्वकप है और सभी टीमें कहीं न कहीं कमज़ोर पङी हैं,गत सप्ताह कुछ मुकाबले निर्णायक थे इस लिहाज़ से कि क्वार्टरफाईनल में कौन सी टीम जायेंगी,अंततः कई विश्व कप के बाद ऐसा हुआ है कि आठों टीमें किसी न किसी क्षेत्र मे मज़बूत हैं और जीतने का माद्दा रखती हैं, कोई भी मैच एकतरफा होने की उम्मीद कम है और खेल के लिये यह बङी धनात्मक बात है।
इस विश्वकप की सबसे मनोरंजक या रोमांचक टीम का कोई ख़िताब होता तो अवश्य इंग्लैंड को ही जाता,हारे हुए मैच को अंतिम एक घण्टे मे अपने पक्ष में करके इंग्लैंड ने क्वार्टर फाईनल की उम्मींदे बनाये रखीं और दक्षिण अफ्रीका ने बंग्लादेश को बुरी तरह परास्त कर सारी अटकलों पर विराम लगा दिया,ग्रुप "A" के वर्चस्व की लङाई और भारत में क्वार्टरफाईनल न खेलने की बेचैनी मे पाकिस्तान ने अजेय ऑस्ट्रेलिया के अश्वमेघ  का अश्व रोक लिया और ३४वें मैच मे पराजय का स्वाद चखा दिया,हालांकि ऑस्ट्रेलिया में पहले वाली धार दिखाई नहीं दे रही है,और अब समय है कि क्रिकेट की विश्वशक्ति की धुरी भारतीय उपमहाद्वीप की और स्थानांतरित हो।

Sunday, March 13, 2011

क्षमा बङेन को चाहिए,छोटन को उत्पात

Courtesy:espncricinfo.com
"संभावनाओं का खेल" आलेख में हम कयास लगा रहे थे कि क्वार्टरफाईनल की शक्ल कैसी हो सकती है,और चर्चा हुई थी कि ग्रुप 'बी' सबसे दुष्कर और संभावनाओं से भरा प्रतीत हो रहा है,पिछले आठ दिनों में काफी चमत्कार हुए,अजेय पाकिस्तान को पराजय का मुँह देखना पङा,सबसे मज़बूत समझी जा रही दक्षिण अफ्रीका इंग्लैंड द्वारा दिये गये छोटे से लक्ष्य का पीछा नहीं कर पाई,और दक्षिण अफ्रीका को हराने वाला इंग्लैंड दूसरी बार एक कमज़ोर टीम बंग्लादेश से हार गया। श्रीलंका ने ज़िम्बाब्वे के विरूद्ध ताबङतोङ साझेदारी की किंतु फिर भी अनुमान के मुताबिक स्कोर खङा नहीं कर सका और अंतिम दस ओवरों में धराशायी हो गया,बशर्ते दिलशान ने क़माल का खेल दिखाया और 144 रन मारने के बाद 4/4 का गेंदबाज़ी प्रदर्शन किया,आयरलैंड ने सम्मानजनक खेल दिखाना जारी रखा और वेस्टइंडीज़ को भी कङी टक्कर दी.........अब यदि आप झल्लाकर ये पेज बंद करना चाह रहे हैं कि हमारी प्यारी भारतीय टीम के बारे में कोई बात क्यों नहीं की जा रही ...तो क्या कहा जाये?? .....

Saturday, March 5, 2011

संभावनाओं का खेल

Courtesy:espncricinfo.com
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पिछले आलेख का समापन हुआ था इस सकारात्मक आशंका के साथ कि निश्चित रुप से भारत-इंग्लैंड का यह मुकाबला रोचकता की पराकाष्ठा थी बशर्ते कि ऐसा कुछ और आगे न हो जाये,किसने सोचा होगा कि चेन्नास्वामी मैदान पर हुई गेंद की मारकाट को मरहम लगने से पहले ही एक और माहयु्द्ध देखने को मिल जाएगा,महायुद्ध भी कैसा जैसे कि माहाबली द ग्रेट खली को राजपाल यादव ने उठाकर पटक दिया हो,"रोमांचक" शब्द उस मुकाबले का अपमान होगा वो तो चमत्कार की हद तक अविश्वसनीय था,जिसने ऊबाऊ समझकर वो मैच छोङा होगा अगले दिन समाचार पत्र का प्रथम प्रष्ठ देखकर  मन मसोस कर रह गया होगा,एक छोटे से देश का बहादुर लङाका "केविन-ओ-ब्रायन" जिसने अकेले अपने दम पर भारत को स्तब्ध कर देने वाले इंग्लैंड को मटियामेट कर दिया,इंगलैंड अब भी सदमे मे होगा,पिछली बार बात हो ही रही थी कि दोनो टीमों भारत और इंग्लैंड की मज़बूती कम और कमज़ोरी ज़्यादा उजागर हुई थी उस मैच से,और परिणामस्वरुप शीघ्र ही इंग्लैंड को सबक मिल गया भारत के लिये अच्छा यह रहा कि अब आयरलैंड को हल्के में नहीं लिया जायेगा और सहवाग एक और रेवेंज गेम खेलेंगे।

Tuesday, March 1, 2011

मनोरंजन का दादा!!

पिछले लेख में हम बात कर रहे थे कि किस प्रकार कुछ टीमों के खिलाङी धैर्यपूर्ण पारियाँ खेलकर भी उतनी ही मज़बूत स्थिती में आ रहे हैं जितनी कि शायद ताबङतोङ,धमाकेदार और विस्फोटक जैसे शब्दों से परिभाषित और कादाचित अतिशयोक्ति से अभिमानित भारतीय टीम कर सकती हो,चर्चा में कुछ नाम भी आए जैसे पाकिस्तान के मिसबाह और यूनुस ख़ान और इंग्लैंड के ट्रॉट और स्ट्रॉस,तीन ही दिन में यह सिद्धांत भलीभाँति प्रतिपादित हो गया कि खेल आकर्षक न होकर भी कितना रोमांच पैदा कर सकता है,पहले पाकिस्तान ने श्रीलंका को हराकर उलटफेर किया और फिर इंग्लैंड ने 28 फरवरी को चेन्नास्वामी में वह खेल खेला जो क्रिकेट की किताब के श्रेष्ठतम मुका़बलों मे दर्ज हो गया,खेल के विवरण पर तो हज़ारों पृष्ठ आने वाले समय में लिखे जाते रहेंगे,सहसा स्मरण हो आया प्रथम I.P.L. के दौरान दिखाया जाने वाला वह प्रचार जिसमें I.P.L. को "मनोरंजन का बाप" कहा गया था,किंतु यह मुकाबला तो I.P.L. का भी बाप निकला,यानि के "मनोरंजन का दादा"।