Tuesday, May 3, 2011

'कल' 'आज' और 'कल'

कान से चिपके हुए रेडियो से लेकर काऊच से चिपकी हुई तशरीफ़ तक,छिलके वाली मूँगफली से लेकर पॉपकॉर्न तक,चर्चा से लेकर ऐनालिसिस तक, विगत बीस-पच्चीस वर्षों में ही क्रिकेट के स्वरुप में क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं।फक्क सफेद कपङों में खेला जाने वाला पाँच दिवसीय खेल रंग बिरंगी पोशाकों में खेले जाने वाले 180 मिनट के मुकाबले में बदल गया,कलात्मक शॉट्स आक्रामक शॉट्स में तब्दील हो गये,समय के साथ क्रिकेट ने अपना स्वरुप बदला किंतु लोकप्रियता का़यम रखी।
यदि क्रिकेट के बदलते स्वरुप को कालखण्ड में बाँटने का प्रयास किया जाये तो 'कल' 'आज' और 'कल' मे वर्गीक्रत कर सकते हैं,
Maharaja Ranjeet Singh Jee and Team: Image Courtesy : Wikipedia