Tuesday, May 3, 2011

'कल' 'आज' और 'कल'

कान से चिपके हुए रेडियो से लेकर काऊच से चिपकी हुई तशरीफ़ तक,छिलके वाली मूँगफली से लेकर पॉपकॉर्न तक,चर्चा से लेकर ऐनालिसिस तक, विगत बीस-पच्चीस वर्षों में ही क्रिकेट के स्वरुप में क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं।फक्क सफेद कपङों में खेला जाने वाला पाँच दिवसीय खेल रंग बिरंगी पोशाकों में खेले जाने वाले 180 मिनट के मुकाबले में बदल गया,कलात्मक शॉट्स आक्रामक शॉट्स में तब्दील हो गये,समय के साथ क्रिकेट ने अपना स्वरुप बदला किंतु लोकप्रियता का़यम रखी।
यदि क्रिकेट के बदलते स्वरुप को कालखण्ड में बाँटने का प्रयास किया जाये तो 'कल' 'आज' और 'कल' मे वर्गीक्रत कर सकते हैं,
Maharaja Ranjeet Singh Jee and Team: Image Courtesy : Wikipedia
कलः क्रिकेट का इतिहास या बीता हुआ कल 350 वर्ष से भी पुराना है,भारत में भी इस खेल को ब्रिटिश ही लेकर आए सबसे पुराने क्रिकेट क्लब का श्रेय 'कलकत्ता क्रिकेट क्लब' को प्राप्त है जो 1792 AD में बना,उन्नीसवीं शताब्दी में 'मद्रास''बॉम्बे' और कलकत्ता ही क्रिकेट की प्रमुख शक्तियाँ रहीं, ज़ाहिर है दासता और निर्धनता से पीङित आम जनमानस का खेल न होकर ये श्रेष्ठी वर्ग का खेल था प्रमुख तौर पर अंग्रेज़ों के मनोरंजन का साधन।भारतीय क्रिकेट के पितामह कहे जाने वाले माहाराजा रणजीत सिंह जी के नाम पर 1934 AD में रणजी ट्रॉफी प्रारंभ की गई जो भारत के विभिन्न प्रांतो के बीच खेला जाने वाला वार्षिक आयोजन था, एकतरफा तौर पर 1970 AD तक बॉम्बे ही इस ट्रॉफी को जीतता रहा,इस दौरान एक बङा परिवर्तन यह हुआ कि क्रिकेट भारतीयों का खेल बन गया हालांकि लोकप्रियता में कमी बनी रही।
The 1932 All-India side which toured England. 
Back: Lall Singh, Phiroze Palia, Jahangir Khan, Mohammad Nissar, Amar Singh, Bahadur Kapadia, Shankarrao Godambe, Ghulam Mohammad, Janardan Navle.  Seated: Syed Wazir Ali, C.K.Nayudu, Maharaja of Porbandar (captain), KS Limbdi (vice-captain), Nazir Ali, XX. 
Front: Naoomal Jaoomal, Sorabji Colah, Nariman Marshall.

आजः
1983 cricket world cup winners:Indian Team
क्रिकेट के आज को यदि 1983 AD से प्रारंभ किया जाये तो बहुतों को आश्चर्य होगा, किंतु भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता के चरम की कालावधि यही रही,एक अदनी टीम के रुप में भारत ने एकदिवसीय विश्चकप में शिरकत की और कपिल देव की कप्तानी में दो बार की विश्वविजेता वेस्टइंडीज़ को हराकर रातों रात क्रिकेट को 'क्लास' से 'मास' तक पहुँचा दिया,भारत में क्रिकेट के दीवानेपन के सारे उदाहरण उसके बाद के ही मिलेंगे,यहाँ तक कि क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले 'सचिन' भी 1983 की जीत को ही अपने सपने का आधार मानते हैं, उसके बाद भारतीय क्रिकेट ने कई उतार-चढाव देखे,पोशाकें रंगीन हो गईं, नियमों में अभूतपूर्व बदलाव आए, भारत संघर्ष करता और कभी हारता कभी जीतता रहा किंतु विश्वशक्ति बनने से वंचित रहा, फिर आया क्रिकेट में समर्थ कप्तानी का दौर 'सौरभ गांगुली' ने भारतीय क्रिकेटरों की सोच में महत्वपूर्ण बदलाव किया,अब भारतीय खिलाङी भी ऑस्ट्रिलिया जैसी टीम के सामने दब्बू न रहकर दबंग बन गये और उनके ही देश में जाकर श्रंखला पर क़ब्ज़ा किया,धोनी ने इसी परंपरा को जारी रखा और अपने शातिर दिमाग़ से खेल को और सँवार दिया,बेशक प्रतिभाशाली खिलाङी कप्तान के विश्वास पर खरे उतरे और 1983  को दोहराते हुए 2011 में वापस इतिहास रच डाला।
2011 Cricket World Cup Winners: India Team(Image Courtesy: ESPNcricinfo.com)
कलः 
Image Courtesy: iplphotos.com
आज की ही भाँति यदि क्रिकेट के कल का कुछ हिस्सा आज से उठाया जाये तो पाठक प्रश्न कर सकते हैं कि ये आने वाला कल है क्या? बात T20 की हो रही है,क्रिकेट कितना भी लोकप्रिय क्यों न हो अब भी फुटबॉल,बॉक्सिंग जैसे खेलों से कम ही है,क्योंकि ये विश्व के बहुत सीमित देशों में खेला जाने वाला लंबे समय का खेल है,इसी बात को ध्यान में रखते हुए 2003 AD में इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने साढे तीन घण्टे के क्रिकेट के छोटे रुप पर प्रयोग करना चाहा,प्रतिसाद काफी अच्छा रहा और ज्लदी ही फटाफट क्रिकेट लोकप्रिय हो गया, हालांकि विवाद उठते रहे कि यह क्रिकेट की मौलिकता के लिये खतरा है किंतु जब धन कुबेर बरसने लगा तो सब साथ हो लिये, भारत लंबे समय तक T20 का विरोधी रहा किंतु पहला T20 विश्वकप जीतते ही ख़ज़ाने की चाभी BCCI के हाथ आ गयी, अब I.P.L. का तमाशा सब देख ही रहे हैं,क्रिकेट खेल न रहकर मनोरंजन का साधन बनता जा रहा है, यह भी एक लाईव रियेलिटी शो है जो दिन भर काम करके थके माँदे लोगों की चक्षु-क्षुधा शांत करता है, 
Image Courtesy: iplphotos.com

Image Courtesy: iplphotos.com
न देश का भाव है न खिलाङी का, किसको सपोर्ट करें कुछ पता नहीं किंतु फिर भी आँखे गङी रहती हैं, खेल ख़त्म हुआ तो लगता है  'क्यों देखा?' 'कौन जीता?' 'क्या आनंद?' 'कब तक याद रखेंगे?' किंतु यही है क्रिकेट का आने वाला कल, शायद ओवर 15 कर दिये जायें या दस, चीयर लीडर बढा दी जायें, खिलाङी और रंग बिरंगी पोशाकों में आयें,या क्रिकेट के अलावा बाकि प्रतिभाओं के आधार पर चयन हो ,जैसे छक्का मारने के बाद बैट्समैन कितना अच्छा नाच सकता है?कौन सा गेंदबाज़ कितनी गालियाँ दे सकता है?ताकि उन्हें 'बीप' 'बीप' करके सुनाया जा सके और TRP बढायी जा सके,कुछ भी संभव है कम से कम श्रीसंत का भविष्य मुझे उज्जवल दिख रहा है, बाकि टेस्ट क्रिकेट बचा रहे यही कामना है,तथास्तु।
रूपक

2 comments:

shailendra singh said...

very nice article

Rajneesh said...

It's very good article. Eye opener for BCCI and ICC. Also lesson for people who are MAD for CRICKET. But it's true that the FATAFAT life will may change the taste of the game.