Tuesday, May 3, 2011

'कल' 'आज' और 'कल'

कान से चिपके हुए रेडियो से लेकर काऊच से चिपकी हुई तशरीफ़ तक,छिलके वाली मूँगफली से लेकर पॉपकॉर्न तक,चर्चा से लेकर ऐनालिसिस तक, विगत बीस-पच्चीस वर्षों में ही क्रिकेट के स्वरुप में क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं।फक्क सफेद कपङों में खेला जाने वाला पाँच दिवसीय खेल रंग बिरंगी पोशाकों में खेले जाने वाले 180 मिनट के मुकाबले में बदल गया,कलात्मक शॉट्स आक्रामक शॉट्स में तब्दील हो गये,समय के साथ क्रिकेट ने अपना स्वरुप बदला किंतु लोकप्रियता का़यम रखी।
यदि क्रिकेट के बदलते स्वरुप को कालखण्ड में बाँटने का प्रयास किया जाये तो 'कल' 'आज' और 'कल' मे वर्गीक्रत कर सकते हैं,
Maharaja Ranjeet Singh Jee and Team: Image Courtesy : Wikipedia

Sunday, March 27, 2011

कहानी पूरी फ़िल्मी है

Image Courtesy: castrolcricket.com
पिछले सैंतीस दिनों से चला आ रहा लंबा महाकुंभ आखिरकार अपने निर्णायक मोङ पर आ चुका है,पिछले आलेख की समाप्ति हुई थी लीग मैचों की समाप्ति के साथ और हमने चर्चा की थी कि पहली बार ऐसा हो रहा है कि सारी मुख्य धारा की टीमें अगले दौर में पहुँची हैं और मुकाबला रोचक होने वाला है,क्वार्टरफईनल की शुरुआत हुई सबको अपने प्रदर्शन से चौंका देने वाले पाकिस्तान और गिरते पङते अगले दौर में स्थान पाने वाले वेस्टइंडीज़ के मुका़बले के साथ,उम्मीद थी कि गेल,पोलार्ड,ब्रावो और रोच जैसे खिलाङियों से सजी यह टीम पाकिस्तान को कङी टक्कर दे पायेगी किंतु मैच इतना एकतरफा और नीरस हो गया कि वेस्टइंडीज़ पर तरस आने लगा,
Image Courtesy:castrolcricket.com
चंद्रपाल और सरवन ने शायद विश्वकप की सबसे धीमी पारी का रिकॉर्ड बना डाला और 112 रन पर पूरी टीम सिमट गयी,अफ़रीदी का शानदार प्रदर्शन जारी रहा,कमज़ोर बैटिंग का ठप्पा हटाते हुये बिना विकट गँवाये पाकिस्तान ने शानदार विजय हासिल कर ली,आलरांउंडर खिलाङियों से सजी न्यूज़ीलैंड ने बङा उलटफेर किया और विश्वकप की प्रबल दावेदार दक्षिणअफ्रीका को विश्वकप से बाहर कर दिया,जैसा कि पिछले एक आलेख में उल्लेख किया गया  था दक्षिणअफ्रीका की साढेसाती का या यूँ कहा जाये कि सौ वर्ष का कोई श्राप भोग रही दक्षिणअफ्रीकी टीम फिर बङे मुकाबले में आकर हार गयी,इस हार के बाद अटकलें लगने लगीं कि विश्वकप में अब तक की सबसे मनोरंजक टीम इंग्लैंड भी क्या कोई कमाल कर देगी? हालांकि श्रीलंका को श्रीलंका में परास्त करना बहुत मुश्किल है, इतिहास और आँकङे श्रीलंका के विरुद्ध जाते दिखे और पहली पारी के बाद कयास लगने लगा कि क्या आज फिर कोई उलटफेर होगा,किंतु अपने शानदार प्रदर्शन से प्रतिद्वंदी टीम को जङ से उखाङ फेंकने की आदी श्रीलंका ने दस विकेट से विजय प्राप्त कर ली, 
image Cortesy:espncricinfo.com
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इन सब मुकाबलों से बङा और शानदार था भारत का ऑस्ट्रेलिया से मुकाबला,कयास लगाये जा रहे थे कि ऑस्ट्रेलिया अब पहले वाला ऑस्ट्रेलिया नहीं रहा किंतु फिर भी विश्वविजेता से पार पाना इतना आसान नहीं था, मिनी-फाईनल के नाम से जाने जाने वाली इस टक्कर पर सबकी नज़र थी,

Monday, March 21, 2011

हाथी की पूँछ

Cortesy:espncricinfo.com
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विश्व कप के ग्रुप चरण के मुकाबलों का अंतिम सप्ताह भारत की वेस्टइंडीज़ पर आसान विजय के साथ समाप्त हो गया।पिछले आलेख में हम चर्चा कर रहे थे कि यह अब तक का सबसे खुला विश्वकप है और सभी टीमें कहीं न कहीं कमज़ोर पङी हैं,गत सप्ताह कुछ मुकाबले निर्णायक थे इस लिहाज़ से कि क्वार्टरफाईनल में कौन सी टीम जायेंगी,अंततः कई विश्व कप के बाद ऐसा हुआ है कि आठों टीमें किसी न किसी क्षेत्र मे मज़बूत हैं और जीतने का माद्दा रखती हैं, कोई भी मैच एकतरफा होने की उम्मीद कम है और खेल के लिये यह बङी धनात्मक बात है।
इस विश्वकप की सबसे मनोरंजक या रोमांचक टीम का कोई ख़िताब होता तो अवश्य इंग्लैंड को ही जाता,हारे हुए मैच को अंतिम एक घण्टे मे अपने पक्ष में करके इंग्लैंड ने क्वार्टर फाईनल की उम्मींदे बनाये रखीं और दक्षिण अफ्रीका ने बंग्लादेश को बुरी तरह परास्त कर सारी अटकलों पर विराम लगा दिया,ग्रुप "A" के वर्चस्व की लङाई और भारत में क्वार्टरफाईनल न खेलने की बेचैनी मे पाकिस्तान ने अजेय ऑस्ट्रेलिया के अश्वमेघ  का अश्व रोक लिया और ३४वें मैच मे पराजय का स्वाद चखा दिया,हालांकि ऑस्ट्रेलिया में पहले वाली धार दिखाई नहीं दे रही है,और अब समय है कि क्रिकेट की विश्वशक्ति की धुरी भारतीय उपमहाद्वीप की और स्थानांतरित हो।

Sunday, March 13, 2011

क्षमा बङेन को चाहिए,छोटन को उत्पात

Courtesy:espncricinfo.com
"संभावनाओं का खेल" आलेख में हम कयास लगा रहे थे कि क्वार्टरफाईनल की शक्ल कैसी हो सकती है,और चर्चा हुई थी कि ग्रुप 'बी' सबसे दुष्कर और संभावनाओं से भरा प्रतीत हो रहा है,पिछले आठ दिनों में काफी चमत्कार हुए,अजेय पाकिस्तान को पराजय का मुँह देखना पङा,सबसे मज़बूत समझी जा रही दक्षिण अफ्रीका इंग्लैंड द्वारा दिये गये छोटे से लक्ष्य का पीछा नहीं कर पाई,और दक्षिण अफ्रीका को हराने वाला इंग्लैंड दूसरी बार एक कमज़ोर टीम बंग्लादेश से हार गया। श्रीलंका ने ज़िम्बाब्वे के विरूद्ध ताबङतोङ साझेदारी की किंतु फिर भी अनुमान के मुताबिक स्कोर खङा नहीं कर सका और अंतिम दस ओवरों में धराशायी हो गया,बशर्ते दिलशान ने क़माल का खेल दिखाया और 144 रन मारने के बाद 4/4 का गेंदबाज़ी प्रदर्शन किया,आयरलैंड ने सम्मानजनक खेल दिखाना जारी रखा और वेस्टइंडीज़ को भी कङी टक्कर दी.........अब यदि आप झल्लाकर ये पेज बंद करना चाह रहे हैं कि हमारी प्यारी भारतीय टीम के बारे में कोई बात क्यों नहीं की जा रही ...तो क्या कहा जाये?? .....

Saturday, March 5, 2011

संभावनाओं का खेल

Courtesy:espncricinfo.com
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पिछले आलेख का समापन हुआ था इस सकारात्मक आशंका के साथ कि निश्चित रुप से भारत-इंग्लैंड का यह मुकाबला रोचकता की पराकाष्ठा थी बशर्ते कि ऐसा कुछ और आगे न हो जाये,किसने सोचा होगा कि चेन्नास्वामी मैदान पर हुई गेंद की मारकाट को मरहम लगने से पहले ही एक और माहयु्द्ध देखने को मिल जाएगा,महायुद्ध भी कैसा जैसे कि माहाबली द ग्रेट खली को राजपाल यादव ने उठाकर पटक दिया हो,"रोमांचक" शब्द उस मुकाबले का अपमान होगा वो तो चमत्कार की हद तक अविश्वसनीय था,जिसने ऊबाऊ समझकर वो मैच छोङा होगा अगले दिन समाचार पत्र का प्रथम प्रष्ठ देखकर  मन मसोस कर रह गया होगा,एक छोटे से देश का बहादुर लङाका "केविन-ओ-ब्रायन" जिसने अकेले अपने दम पर भारत को स्तब्ध कर देने वाले इंग्लैंड को मटियामेट कर दिया,इंगलैंड अब भी सदमे मे होगा,पिछली बार बात हो ही रही थी कि दोनो टीमों भारत और इंग्लैंड की मज़बूती कम और कमज़ोरी ज़्यादा उजागर हुई थी उस मैच से,और परिणामस्वरुप शीघ्र ही इंग्लैंड को सबक मिल गया भारत के लिये अच्छा यह रहा कि अब आयरलैंड को हल्के में नहीं लिया जायेगा और सहवाग एक और रेवेंज गेम खेलेंगे।

Tuesday, March 1, 2011

मनोरंजन का दादा!!

पिछले लेख में हम बात कर रहे थे कि किस प्रकार कुछ टीमों के खिलाङी धैर्यपूर्ण पारियाँ खेलकर भी उतनी ही मज़बूत स्थिती में आ रहे हैं जितनी कि शायद ताबङतोङ,धमाकेदार और विस्फोटक जैसे शब्दों से परिभाषित और कादाचित अतिशयोक्ति से अभिमानित भारतीय टीम कर सकती हो,चर्चा में कुछ नाम भी आए जैसे पाकिस्तान के मिसबाह और यूनुस ख़ान और इंग्लैंड के ट्रॉट और स्ट्रॉस,तीन ही दिन में यह सिद्धांत भलीभाँति प्रतिपादित हो गया कि खेल आकर्षक न होकर भी कितना रोमांच पैदा कर सकता है,पहले पाकिस्तान ने श्रीलंका को हराकर उलटफेर किया और फिर इंग्लैंड ने 28 फरवरी को चेन्नास्वामी में वह खेल खेला जो क्रिकेट की किताब के श्रेष्ठतम मुका़बलों मे दर्ज हो गया,खेल के विवरण पर तो हज़ारों पृष्ठ आने वाले समय में लिखे जाते रहेंगे,सहसा स्मरण हो आया प्रथम I.P.L. के दौरान दिखाया जाने वाला वह प्रचार जिसमें I.P.L. को "मनोरंजन का बाप" कहा गया था,किंतु यह मुकाबला तो I.P.L. का भी बाप निकला,यानि के "मनोरंजन का दादा"।

Saturday, February 26, 2011

एकदिवसीय=T-20=टेस्ट-ट्वेंटी

पिछली बार हमने बात की छोटी टीमों के विश्वकप में खेलने के औचित्य पर उठ रहे प्रश्न की,इस बीच कुछ और निराशाजनक ऊबाउ मैच खेले गए और लगने लगा कि वाकई प्रतियोगिता अनावश्यक लंबी खिंच रही है,एक बात और गौर करने वाली रही कि कोई भी टीम कितनी भी अच्छी गेंदबाज़ी और क्षेत्ररक्षण क्यों न कर ले रनों का आँकङा 250 के पार पहुँच ही जाता है,कुल मिलाकर खेल को मनोरंजक बनाने के फेर में गेंदबाज़ों का प्रदर्शन महज़ खानापूर्ति रह गया है,किंतु अनिश्चितता और रोमांच ही जिस खेल की पहचान हो उसमें भला किसी एक मत पर कैसे अडिग रहा जा सकता है,पिछले दो दिनों में देखने को मिले छोटे स्कोर वाले मैच,जिनमें से एक पर तो बंग्लादेश ने 206 रन के लक्ष्य पर ही किला लङा दिया और फतह हासिल कर ली,वहीं छोटी टीमों के निराशाजनक प्रदर्शन का भी भ्रम टूटा,केन्या को बुरी तरह हराकर 7+ का नेट रन रेट हासिल करने वाली न्यूज़ीलैंड अपने पङोसी ऑस्ट्रेलिया के आगे सस्ते में धराशायी हो गयी, और वेस्टइंडीज़ ने भी नौसिखियों की तरह खेल दिखाया,जहाँ एक ओर खेल को रोचक बनाने की कवायद चल रही है तो वहीं बङी टीमों का ऐसा लचर प्रदर्शन खेल मे सिर्फ पाँच ही प्रतिस्पर्धियों का गणित बना रहा है:भारत,दक्षिण अफ्रीका,श्रीलंका,पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया,पाकिस्तान को इस लिस्ट में देख आप भले ही चौंक जाएं ,किंतु विश्वसनीय Castrol Cricket Index तो इस बात की पुष्टि कर रहा है और अब तक के मैचों में आए परिणाम Castrol Cricket Index के आँकङो और गहन अध्ययन को और पुख्ता साबित कर रहे हैं, हाँ इंग्लैंड इस दौङ में था किंतु हर टीम नीदरलैंड नहीं होने वाली और पहले मैच वाला प्रदर्शन जारी रहा तो हो सकता है बंग्लादेश इंग्लैं को पराजित कर एक और इतिहास रच डाले।
एक बात जो स्पष्ट रुप से दिखाई दे रही है कि विदेशी टीमें भारत की परिस्थितियों का बहुत अच्छा अध्ययन करके आयी हैं और उसी के मुताबिक रणनीति बना रही हैं,दक्षिण अफ्रीका की तैयारियाँ बहुत मज़बूत लग रही हैं,इमरान ताहिर तुरुप का इक्का साबित हुए और धीमी पिच पर उम्दा प्रदर्शन कर सबको चौंका दिया...

Wednesday, February 23, 2011

तिनका कबहुँ न निंदिये

 तो आखि़रकार विश्वकप का आगा़ज़ हो गया वो भी भारत की धमाकेदार विजय के साथ,और कोई मौका होता तो शायद इतने संशय न होते किंतु 2007 की पराजय ने अनेक आशंकाओं को जन्म दे दिया था, खैर विजय मिली और शानदार मिली,सेहवाग ने मैदान और मैदान के बाहर अपनी भङास निकाली और अपने बेधङक रवैये से सबका मुँह बंद कर दिया, खुल कर बोले कि हाँ ये पिछली हार का बदला था और बंग्लादेश टेस्ट क्रिकेट में अभी भी एक कमज़ोर टीम है,ढाका में खङे होकर ऐसी बेबाक बयानबाज़ी सेहवाग ही कर सकते हैं।
समांतर में चर्चा में है ICC के चेयरमैन हारुन लोगाट का बयान कि 2015 विश्वकप में मात्र दस टीमें ही खेलेंगी,और छोटी और कमज़ोर मानी जाने वाली टीमों में निराशा और रोष देखने को मिल रहा है,क्रिकेट जगत में आजकल अपनी ऊँटपटाँग टिप्पणियों के लिये चर्चा बटोरने वाले विश्वविजेता कप्तान रिकी पोंटिग ने हारुन के इस प्रस्ताव का समर्थन कर विवादों को और हवा दे दी है,पोंटिग का कहना है कि "माना कि छोटी टीमों को प्रोत्साहन मिलना चाहिये ताकि क्रिकेट का प्रचार-प्रसार हो किंतु विश्वकप इसके लिये सही मंच नहीं है,और पता नहीं बङी टीमों से बुरी तरह हारने पर ये टीमें कितना सीख पाती होंगीं" खैर पोंटिग तो ये बयान देकर अगले मैच की तैयारी मे जुट गये और विश्वकप के अपने पहले ही मैच में ज़िम्बाब्वे की कसी हुई गेंदबाज़ी और क्षेत्ररक्षण के आगे संघर्ष करते नज़र आऐ, हालांकि मैच तो वो जीत गए किंतु कङे मुकाबले के बाद।

Saturday, February 19, 2011

दही-शक्कर

बस कुछ घण्टे और फिर आगा़ज़ हो जायेगा एक और विश्वकप का,अभी-अभी विश्व कप 2003 के फाईनल की झलकियाँ देखीं,दूसरे चैनल मे समांतर में विश्व कप 2007 का वो अतिविस्मरणीय किंतु अविस्मरणीय मैच भी दिखाया जा रहा था जब क्रिकेट की महाशक्ति भारत एक बौने प्रतिद्वंदी बंग्लादेश से हार गयी थी,इस खेल की यही ख़ूबी है रोमांच! भावनाओं का,अनिश्चितता का,उत्साह का,निराशा का,नसों में नशा भरने वाला रोमांच!!! संप्रति से परे भूत और भविष्य मे पनपने वाला रोमांच,भूत जो सालता है,कचोटता है,मुठ्ठियाँ भिंच जाती हैं कि काश!!! ऑस्ट्रेलिया के साथ वो फाईनल,इतना पास पहुँच कर भी इतने दूर रह गये, पराजित सेना से मैदान में उतरे और बिना किसी चमत्कार के विश्व विजेता को नमस्कार कर कप पकङाकर चले आये,उफ्फ,काश...,जब कपिल जी ने जीता होगा वो कप क्या पता रहा होगा कि आने वाले 28 साल तक वही तस्वीरें मन को दिलासा देती रहेंगी,उससे बङे खिलाङी आये,बङी जीत मिलीं लेकिन वो एक कसक कि काश...खैर इसी काश की आस में फिर एक बार उतर रहे हैं मैदान में,फिरसे उम्मींदों का अंबार है,हमेशा कि तरह;फ़र्क इतना है कि इस बार आँकङे भी साथ दे रहे हैं,जीत की आदत के साथ,एक अलग आत्मविश्वास के साथ पादार्पण हो रहा है,फिर वही रोमांच आने वाले क्षणों का और बीत चुके पलों का साथ रह जायेगा ,और संप्रति में होंगी सिर्फ रिमोट कि किट-किट,सर दुखा देने वाले उत्पादों के प्रचार और कभी न सही होने वाले विश्लेषण,विजयी भव की आशा है और काश का भय किंतु फिर भी उम्मीद है कि भविष्य से बँधी और भूत की कर्ज़दार है।

Wednesday, February 16, 2011

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विश्व कप का बुखार बढ रहा है, अभ्यास मैच प्रारंभ हो गये हैं,भारत ने अपना पहला अभ्यास मैच चिर परिचित प्रतिद्वंदी ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध जीतकर अपनी दावेदारी को मज़बूत कर लिया है,हालांकि असली मुका़बला अभी तीन दिन बाद प्रारंभ होगा,आशा है अप्रैल तक और आने वाले कई अप्रैल तक जश्न जारी रहेगा।
प्रवीण कुमार के स्थान पर आये श्रीसंत ने अच्छा प्रदर्शन कर अपनी दावेदारी तो मज़बूत की ही,अति आदरणीय किंतु नकचढे पोंटिग को 'L' का संकेत देकर और वाद के बदले प्रतिवाद देकर यह भी जता दिया कि कुछ रोचक स्लेजिंग भी खेल को मज़ेदार बनाने वाली है, हालांकि स्लेजिंग का स्तर गिरता जा रहा है और अब यह वाक्पटुता न रहकर अभद्रता बन गयी है, किंतु कुछ अच्छे उदाहरण मिले तो खेल कि मर्यादा के साथ रोचकता भी बनी रह जायेगी,क्रिकेट के इतिहास में ऐसे कई मज़ेदार स्लेजिंग के उदाहरण हैं जो खिलाङियों कि हाज़िर-जवाबी के कारण किवंदती बन गये हैं,हालांकि बहुत सारे स्थानों पर इनका उल्लेख किया जा चुका है किंतु आईये एक बार फिर इन्हे स्मरण करके प्रसन्न हो लेते हैं,और आशा करते हैं कि विश्व कप -2011 में कुछ मज़ेदार और स्वस्थ्य स्लेजिंग देखने को मिले।