Sunday, March 13, 2011

क्षमा बङेन को चाहिए,छोटन को उत्पात

Courtesy:espncricinfo.com
"संभावनाओं का खेल" आलेख में हम कयास लगा रहे थे कि क्वार्टरफाईनल की शक्ल कैसी हो सकती है,और चर्चा हुई थी कि ग्रुप 'बी' सबसे दुष्कर और संभावनाओं से भरा प्रतीत हो रहा है,पिछले आठ दिनों में काफी चमत्कार हुए,अजेय पाकिस्तान को पराजय का मुँह देखना पङा,सबसे मज़बूत समझी जा रही दक्षिण अफ्रीका इंग्लैंड द्वारा दिये गये छोटे से लक्ष्य का पीछा नहीं कर पाई,और दक्षिण अफ्रीका को हराने वाला इंग्लैंड दूसरी बार एक कमज़ोर टीम बंग्लादेश से हार गया। श्रीलंका ने ज़िम्बाब्वे के विरूद्ध ताबङतोङ साझेदारी की किंतु फिर भी अनुमान के मुताबिक स्कोर खङा नहीं कर सका और अंतिम दस ओवरों में धराशायी हो गया,बशर्ते दिलशान ने क़माल का खेल दिखाया और 144 रन मारने के बाद 4/4 का गेंदबाज़ी प्रदर्शन किया,आयरलैंड ने सम्मानजनक खेल दिखाना जारी रखा और वेस्टइंडीज़ को भी कङी टक्कर दी.........अब यदि आप झल्लाकर ये पेज बंद करना चाह रहे हैं कि हमारी प्यारी भारतीय टीम के बारे में कोई बात क्यों नहीं की जा रही ...तो क्या कहा जाये?? .....
निराशा से ध्यान हटाने का ये प्रयास एक सप्ताह से जारी था,क्रिकेट से प्रेम दिखाने का किंतु पागलपन से बचने का.....घोर निराशा में बंग्लादेशी व्यवहार न कर बैठने का प्रयास,अफसोस कि उम्मीद के सारे महलों को ध्वस्त करते भारतीय टीम ने वही प्रदर्शन जारी रखा और अपने खाते में पहली हार दर्ज कर ली,कप्तान धोनी बेतुके बयाने देते रहे और मीडिया में उनकी 'स्ट्रेटिजी' का मखौल बनता रहा,बात सिर्फ खेल की होती तो भी स्वीकार्य थी क्योंकि हार-जीत तो लगी रहती है, किंतु विषय है 'विश्वकप' का ,सारी दुनिया की नज़र है,सारा मीडिया एकत्र है, बंग्लादेश के दर्शकों की बचकाना हरकत से देश की भद पिट गयी,ऐसे में कभी बोलना कि "चावला को प्रैक्टिस करायी जा रही है",कभी कहना कि "हमारी किस्मत में एक हार लिखी है",कभी कहना कि "ये हार भारतीय टीम के लिये नहीं भारतीय दर्शकों के लिये "वेक-अप कॉल" है (इसका तात्पर्य अब तक समझ नहीं आया,क्या धोनी कहना चाह रहे थे कि दर्शकों!! अब जाग जाओ और बेमतलब की उम्मीद रखना बंद करो?)
कभी-कभी लगता है राशिद लतीफ़ और इंज़माम जैसे कप्तान ही अच्छे थे अंग्रेज़ी नहीं बोल पाते थे और कम बोलते थे,मैदान में ही खेल बोला करता था,वैसे अंग्रेज़ी तो सचिन को भी आती है किंतु उनकी ज़बान फिसलते कदाचित ही देखी गयी है, किंतु क्या वो भारतीय मीडिया के शिकार नहीं? खेल तो खेल है हार-जीत लगी रहेगी दर्शक तो दर्शक हैं आज निराश होंगे कल फिर उम्मीद करेंगे,करोङो फैन ने ही आपको सर पर चढाया है तो आप उन्हें नकार नहीं सकते,खेल यदि सिर्फ ग्यारह खिलाङियों की बपौती होता तो ज़िम्बाब्वे और केन्या भी अच्छी टीम बन जाती,बहुत कुछ खेल से जुङा है,पैसा ,नाम ,ग्लैमर ....फिर बयानबाज़ी होती है " मेरी टीम के सब खिलाङी स्टार हैं,उन्हें नायक की तरह खेलना पसंद है ( Flamboyant cricketers) और उस चक्कर में बङे शॉट खेलकर आऊट हो जाते हैं" ...अब बस भी करो धोनी,मैदान में बोलो,जितना बोलोगे उतने विवाद होंगे,स्मिथ ने खेल के पहले कहा "ये फाईनल नहीं,हम अपना खेल खेलेंगे और बेस्ट देंगे" संतुलित बात समाप्त, पोंटिग तो बिल्कुल ही विनम्र बनकर भारत की तारीफ करने लगा ( हालांकि सब उनके दोगले व्यवहार को जानते हैं) किंतु संयमित बात की गई ( और विश्वकप में लगातार बत्तीस जीत का रिकॉर्ड रखने वाली  टीम का कप्तान बङबोला भी हो जाये तो भी बनता है),लगता है धोनी साहब ने समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रवक्ता 'अमर सिंह' को या कांग्रेस के बङबोले 'राजीव शुक्ला' को अपना मीडिया सलाहकार नियुक्त कर लिया है जो वाणी पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं।
भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को तीन श्रेणियों मे वर्गीक्रत किया जा सकता हैः (
१) क्रिकेट के दीवानेःजो पागलपन की हद तक क्रिकेट और खिलाङियों को चाहते हैं,जो बेडरुम में धोनी,रैना और मंदिर में सचिन की तस्वीर लगाकर रखते हैं,ये वही हैं जो टिकट की कतार में पुलिस के डण्डे खाते हैं और रात रात भर लाईन में लगे रहते हैं, जो शर्त में हज़ार दो हज़ार हार जाते हैं और जीत पर सङकों में मिठाई बाँटते हैं,और हार जाने पर घर का कोई समान या किसी का सर फोङ देते हैं,क्रिकेटरों को हीरो यही बनाते हैं,और हार जाने पर धोनी और उनके जैसे कप्तान इन्हीं को पागल संबोधित करते हैं।

(२)क्रिकेट के प्रेमीः 

ये खेल से प्रेम करते हैं, किंतु प्रदर्शित करने में संतुलित रहते हैं, ये वही हैं जो ऑफिस में क्रिकेट की वेबसाईट खोलकर रखते हैं और हर पाँच मिनट में स्कोर देख लेते हैं,भारत का मैच हो तो सिक लीव लेने से परहेज़ नहीं करते और बहुधा सीरियस दिखने वाले ये लोग क्रिकेट की चर्चा होने पर उछल पङते हैं,खेल की थोङी खिचङी जानकरी भी रखते हैं, हार इन्हें भी पसंद नहीं,हाँ पत्थरबाज़ी नहीं करते ज़्यादा गुस्सा आया तो अंग्रेज़ी में गालियाँ दे लेते हैं,क्रिकेट के सितारों को देखकर सोचते हैं "काश मैं क्रिकेटर होता!"
(३)क्रिकेट के विशेषज्ञः  

ये उच्च द्रर्जे के बुद्धिजीवी हैं,टी॰वी॰ में चल रही चर्चा को बङे ध्यान से सुनते हैं, गणित लगाते हैं,सारे खिलाङियों (भारत के अतिरिक्त भी) का बायो डाटा ज़ुबानी याद रखते हैं,अक्सर कोई ऑस्ट्रेलिया का खिलाङी ही इनका आदर्श होता है (सचिन के अलावा) , इनमें से ही कुछ क्रिकेटर तो कुछ क्रिकेट एक्सपर्ट बन जाते हैं,हार इनसे भी नहीं पचती और जब ये बिफरते हैं तो सोचते हैं कि-"काश धोनी मेरे सामने आ जाये और अभी उसको बता दूँ कि वो क्या गल्ती कर रहा है"
पराजय से निराश होने की आवश्यकता नहीं है, ये विश्वकप इतिहास का सबसे खुला विश्वकप है, सारी टीमों ने ग़ल्तियाँ की हैं,सब हारे हैं ( सिवाय ऑस्ट्रेलिया के) किंतु ऑस्ट्रेलिया भी छोटी टीमों के आगे असहज हुआ है, मुकाबला अभी बाकि है,भारत संघर्ष करके हारा है और बेहतर टीम से हारा है,नॉकआऊट चरण से पहले कमज़ोरियाँ उजागर हो गई है और सुधार का विकल्प खुला है,जो त्रुटियों से सबक लेगा वही होगा विश्वविजेता।
बहरहाल न तो क्रिकेट के प्रति लोगों का प्रेम कम होगा न पागलपन,बस देश की छवि धूमिल न होने पाए,और भारत की छवि एक अच्छे मेज़बान के रुप में बनी रहे वरना एक बुरा उदाहरण हमारे पङोसी पाकिस्तान के रुप में ही मौजूद है,हार को भूल जाईए कारणों को याद रखिए,बुज़ुर्गों ने कहा भी है "क्षमा बङेन को चाहिए,छोटन को उत्पात"

क्रिकेट का कर्मवीरः
जैसे-जैसे खेल ज़ोर पकङ रहा है,बङे खिलाङी रंग मे आ रहे हैं, दिलशान ने क़माल का हरफनमौला खेल दिखाया, युवराज भी तीन अर्धशतक और सात विकेट लेकर मैच विनर वाली लय में आ गये, रॉस टेलर ने पाकिस्तानी गेंदबाज़ी की बखिया उधेढकर फिक्सिंग के विवादों को हवा दे दी, किंतु क्रिकेट के भगवान की अविस्मरणीय पारी सबसे अलग है,मज़बूत टीम के आगे लगाया गया शतक,विश्व ले श्रेष्ठतम गेंदबाज़ों की लय बिगाङ देने वाला शतक, सचिन का 99 th शतक, शतक जिसने पविलियन में बैठे खिलाङियों को इतना अंधा कर दिया कि वो समझ बैठे पिच और गेंदबाज़ी बङी सरल है और उसी मुगा़लते में 29 रन पर 9 विकेट गँवा बैठे,प्रयास रहता है कि गॉड की चर्चा इस कॉलम में न हो क्योंकि वो तो हैं ही महान किंतु यहाँ बात 38 वर्ष के युवा सचिन की है,जो मैदान पर मुनफ से कहीं ज़्यादा फुर्तीला,विराट से कहीं ज़्यादा संतुलित,सहवाग से कहीं ज़्यादा विस्फोटक और धोनी से कहीं ज़्यादा जोशीला है,क्रिकेट बदला,नियम बदले,खेल बदला ,नहीं बदला तो बस भारत का सच "भारतीय टीम=सचिन तेंदुलकर"।
Courtesy:espncricinfo.com

सचिन के लिये कुछ भी कहा जाना कम है किंतु फिर भी समर्पित हैं कुछ पंक्तियाँ
ख़ामोशी को ,सन्नाटे को नया नाम देने वाले,
गेंदबाज़ को धूल गेंद को आसमान देने वाले,
कुछ कहने को नहीं बचा तो बोलेंगे है सचिन-समय,
सब के सब स्तब्ध,खुशी को ये ज़बान देने वाले,
नतमस्तक थे,दण्डवत हुए,सभी विरोधी भूमिगत हुए,
शत शत नमन तुम्हें भारत को इतना मान देने वाले।
एक बार फिर टीम इस महानायक के प्रयास का सम्मान नहीं कर सकी और एक और ईमानदार कोशिश व्यर्थ जाती रही।
रोमांचक क्षणः
इससे ज़्यादा रोमांचक क्या होगा इस सप्ताहः

Courtesy:Youtube

'रुपक'
Castrol Cricket Index Analysis:
Other than that little battle, the other six spots are a virtual lock with Australia, Sri Lanka, New Zealand and Pakistan looking good in group A and India and South Africa coasting in group B. The way things play out might lead to a mouth-watering India-Pakistan quarter-final in Ahmedabad which should really kick things into high gear. At this stage of the tournament, it’s worth looking at what’s working and what’s not for the top sides as they get set for the knockout stages. For instance, people sense that India has some issues with their bowling, while Pakistan’s batting has been a bit shaky. To actually measure the performances of these teams, we use the Castrol Index, and specifically the batting momentum (BM) and bowling efficiency (BE) for each team. The graph below plots these numbers for the top eight teams in the tournament.
(Disclaimer: Castrol Cricket Index खिलाङियों के प्रदर्शन को मापने का कारगर तरीका है और इसके पहले उपयोग किये जाने वाले कई विश्लेषणों से इस मायने में पृथक है कि इसमें हर खिलाङी का प्रदर्शन खेल के तीनों पैमानों बल्लेबाज़ी,गेंदबाज़ी और क्षेत्ररक्षण में परखा जाता है किंतु खिलाङी की मूल प्रतिभा(core competence) को ध्यान में रखते हुए,गहन अध्ययन के बाद तैयार की गई यह रैंकिग प्रणाली ICC रैंकिग से भी ज़्यादा कारगर सिद्ध हुई है और क्रिकेट प्रेमी अब भावनाओं और उत्साह के साथ अब विश्वसनीय आँकङों की सहायता से भी अपने वाद-विवाद को मज़ेदार बना सकते हैं,ब्लॉगर Castrol Cricket Index का अनुयायी है और अपने आलेखों में Castrol Cricket Index की सहायता से रोचक तथ्य प्रस्तुत करता है,Castrol Cricket Index द्वारा ब्लॉगर को संपर्क किया गया और अध्ययन के बाद ब्लॉगर को Index विश्वसनीय लगा,किंतु आलेख किसी भी प्रकार से कंपनी का प्रचार नहीं करते और Blogger की राय किसी भी उत्पाद से सर्वथा विलग और निष्पक्ष है)

1 comments:

दिलबागसिंह विर्क said...

sunder aalekh

cricket premiyon ko sahansheel hona chahie . jit- har khel ka hissa hai
abhi world cup ka asli daur to aana hai