Wednesday, February 23, 2011

तिनका कबहुँ न निंदिये

 तो आखि़रकार विश्वकप का आगा़ज़ हो गया वो भी भारत की धमाकेदार विजय के साथ,और कोई मौका होता तो शायद इतने संशय न होते किंतु 2007 की पराजय ने अनेक आशंकाओं को जन्म दे दिया था, खैर विजय मिली और शानदार मिली,सेहवाग ने मैदान और मैदान के बाहर अपनी भङास निकाली और अपने बेधङक रवैये से सबका मुँह बंद कर दिया, खुल कर बोले कि हाँ ये पिछली हार का बदला था और बंग्लादेश टेस्ट क्रिकेट में अभी भी एक कमज़ोर टीम है,ढाका में खङे होकर ऐसी बेबाक बयानबाज़ी सेहवाग ही कर सकते हैं।
समांतर में चर्चा में है ICC के चेयरमैन हारुन लोगाट का बयान कि 2015 विश्वकप में मात्र दस टीमें ही खेलेंगी,और छोटी और कमज़ोर मानी जाने वाली टीमों में निराशा और रोष देखने को मिल रहा है,क्रिकेट जगत में आजकल अपनी ऊँटपटाँग टिप्पणियों के लिये चर्चा बटोरने वाले विश्वविजेता कप्तान रिकी पोंटिग ने हारुन के इस प्रस्ताव का समर्थन कर विवादों को और हवा दे दी है,पोंटिग का कहना है कि "माना कि छोटी टीमों को प्रोत्साहन मिलना चाहिये ताकि क्रिकेट का प्रचार-प्रसार हो किंतु विश्वकप इसके लिये सही मंच नहीं है,और पता नहीं बङी टीमों से बुरी तरह हारने पर ये टीमें कितना सीख पाती होंगीं" खैर पोंटिग तो ये बयान देकर अगले मैच की तैयारी मे जुट गये और विश्वकप के अपने पहले ही मैच में ज़िम्बाब्वे की कसी हुई गेंदबाज़ी और क्षेत्ररक्षण के आगे संघर्ष करते नज़र आऐ, हालांकि मैच तो वो जीत गए किंतु कङे मुकाबले के बाद।

अभी 'Minnows' का कद घटाये जाने की कवायद चल ही रही थी कि नीदरलैंड ने विश्वकप की प्रबल दावेदार मानी जा रही इंग्लैंड को नाकों चने चबवा दिये,किसी तरह अंतिम ओवर से पहले इंग्लैंड लक्ष्य तक पहुँच सका।
 इससे पहले केन्या और कनाडा के कमज़ोर प्रदर्शन ने हारुन के बयानों को पुख़्ता करने का ही काम किया था किंतु नीदरलैंड के जुझारु प्रदर्शन ने एक बार फिर सोचने पर विवश किया कि क्या क्रिकेट के महाकुंभ से विलग होकर ये छोटी टीमें अपना कोई स्थान बना पायेंगी? या फिर फुटबॉल का अधिपत्य स्वीकार कर कालांतर मे दम तोङ देंगी?
विश्व कप वह आयोजन है जिसमें हमेशा क्रिकेट न देखने वाले लोग भी रुचि लेते हैं,और चमत्कारों पर विश्वास रखने वाले भारतीय भारत का मैच न होने की स्थिती में इन कमज़ोर टीमों का ही समर्थन करने में आनंद लेते हैं,वही होता है खेल का असली रोमांच, जब पिछले विश्वकप में आयरलैंड जैसी छोटी टीम ने पाकिस्तान को पटखनी दे दी तो बंग्लादेश से हुई हार पर बहुतों के लिये तो इस चमत्कार ने मरहम का काम किया कि "चलो पाकिस्तान भी छोटी टीम से हारा", और फिर बंग्लादेश को हराकर तो आयरलैंड ने अस्वयं के देश से भी ज़्यादा प्रशंसक भारत में बना लिये,इसी परपीङा की सुखानुभूति के लिये कई छोटी टीमें लुटी पिटी बङी टीमों के प्रशंसकों की चहेती बन जाती हैं,
वैसे बंग्लादेश से लेकर नीदरलैंड और आयरलैंड से लेकर केन्या तक सारी टीमें उलटफेर का माद्दा रखती हैं और जब तक भारतीय टीम इनसे बची है ये खेल को रोमांचक बनाने वाली हैं।
वैसे पोंटिग ने रन आऊट होने के बाद ड्रेसिंग रुम में रखा टी॰वी॰ फोङ डाला इस खिसियानी बिल्ली वाली हरक़त पर कबीर का एक दोहा याद आ गयाः
तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँवन तर होय,
कबहुँ उढे आँखिन परै,पीर घनेरी होय।

चतुर की चटाईः
विश्वकप में बौनी टीमों को हटाये जाने से पहले ICC को शायद यह भी सोचना चाहिये कि टेस्ट खेलने वाली टीमों की तुलना में छोटी टीमों को कितना कम अवसर और आर्थिक सहयोग दिया जाता है,हालांकि ज़िम्बाब्वे जैसी टीमों का इतने वर्षों के बाद भी नौसिखिया रह जाना प्रतिवाद को जन्म देता हैः
किंतु इसके बावज़ूद विश्वकप के इतिहास में बङे उलट फेर हुए हैं:
  • 1979 के विश्वकप में उस समय की नॉन टेस्ट प्लेयिंग टीम श्रीलंका ने भारत को 47 रन से हराकर सबको चौंका दिया था।
  • 1983 के विश्वकप में ज़िम्बाब्वे ने ऑस्ट्रेलिया को 13 रन से हराकर सबसे बङा उलटफेर किया था।
  • 1992 के विश्वकप में ज़िम्बाब्वे ने इंग्लैंड को नौ रन से मात दे दी थी और ये ज़िम्बाब्वे की पहली जीत थी अठारह लगातार पराजय के बाद इसके पहले उन्होंने 1983 में ऑस्ट्रेलिया को हराया था।
  • 1996 के विश्वकप में अपने विश्वकप पदार्पण वर्ष में ही मज़बूत वेस्टइंडीज़ को 73 रन के बङे अंतर से हराकर केन्या ने प्रबल दावेदारी पेश की थी।
  • 1999 के विश्वकप में पाकिस्तान को 62 रन से हराकर बंग्लादेश ने इतना प्रभावित किया कि उसी वर्ष टेस्ट टीम का दर्ज़ा हासिल कर लिया,हालांकि इसी पैमाने पर परखा जाए तो केन्या को भी टेस्ट टीम हो जाना चाहिये था किंतु ऐसे ही निर्णय एक प्रगतिशील टीम का मनोबल तोङ देते हैं,केन्या का सर्वश्रेष्ठ आना अब भी बाकि था।
2003 विश्वकप के उलटफेरः
  • 2003 के विश्वकप में केन्या ने मज़बूत श्रीलंका को 53 रन से शिकस्त दे दी।
  • कनाडा ने अपेक्षाक्रत मज़बूत बंग्लादेश को 60 रन से हराकर बंग्लादेश के टेस्ट स्टेटस पर फिर सवालिया निशान लगा दिया।
  • केन्या ने भी बंग्लादेश को सात विकेट से पीटा।
  • अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए केन्या ने ज़िम्बाब्वे को भी सात विकेट से हराया और सेमी-फाईनल तक पहुँच गया।
  • 2007 के विश्वकप में ज़िम्बाब्वे और आयरलैंड का रोमांचक मैच बराबरी पर छूटा जो विश्वकप का तीसरा टाई था।
    2007 के विश्वकप में भारत की बंग्लादेश के हाथों पाँच विकेट से हार आज तक काले पन्नों मे दर्ज़ है।
    2007 के विश्वकप में दूसरा बङा उलट फेर रहा पाकिस्तान की आयरलैंड के हाथों तीन विकेट से हार।
    2007 के विश्वकप में ही आयरलैंड ने बंग्लादेश को 74 रनों के भारी अंतर से हरा दिया।
    किंतु बंग्लादेश द्वारा मज़बूत दक्षिण अफ्रीक की 87 रन से हार ने सबको चौंका दिया और बंग्लादेश ने आने वाले विश्वकप में अपनी बढने वाली शक्ति का परिचय दे दियाः  
रोमांचक क्षणः
रुपक

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